सेन्स ऐन्ड सेन्सिबिलिटी
"अरे वाह रूपा, झुमके बडे अच्छे लग रहे हैंं.."
मेरा मित्रता प्रदर्शित करनेवाला सामान्य अभिप्राय.
कमरे में झाडू लगाते लगाते वह ठहर जाती है
झुमके उतार कर मेरे हाथ में रखती है..
"अच्छे लगें? लीजिये ना..अप पे बहुत जचेंगे."
मैं लज्जित होती हूं -
उसकी उदारता से भी और अपनी दखियानूसी से भीे,
जो मेरे पीछे 'एस्थेटिक सैन्स?' की सी कुछ बात फुसफुसाती है!
मेरा मित्रता प्रदर्शित करनेवाला सामान्य अभिप्राय.
कमरे में झाडू लगाते लगाते वह ठहर जाती है
झुमके उतार कर मेरे हाथ में रखती है..
"अच्छे लगें? लीजिये ना..अप पे बहुत जचेंगे."
मैं लज्जित होती हूं -
उसकी उदारता से भी और अपनी दखियानूसी से भीे,
जो मेरे पीछे 'एस्थेटिक सैन्स?' की सी कुछ बात फुसफुसाती है!